भाकपा-माले प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया उच्चस्तरीय जांच टीम पहुंची बनारपुर, कोचाढ़ि गाँव

भाकपा-माले प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया  उच्चस्तरीय जांच टीम पहुंची बनारपुर, कोचाढ़ि गाँव
डुमराँव विधायक डॉ० अजीत कुशवाहा भी जांच टीम में हे शामिल

बक्सर संवाददाता 

बक्सर :- जिले के चौसा  थर्मल पावर प्लांट के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर बर्बर पुलिस दमन और उसके बाद बनारपुर, कोचाढ़ि व मोहनपुरवा गाँव के किसानों के घरों में घुस कर बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों सहित सभी को बर्बर तरीके से पीटने एवं उनके घरों में तोड़ - फोड़ एवं लूट - पाट करने की घटना के तमाम पहलुओं की माले की उच्चस्तरीय टीम ने जांच की । जांच टीम में माले के डुमराँव विधायक डॉ० अजीत कुशवाहा के साथ जिला कमिटी के सदस्य व इटाढ़ी प्रखण्ड के सचिव जगनारायण शर्मा, बक्सर के सचिव नीरज कुमार, जिला कमिटी सदस्य राजदेव सिंह और तेजनारायण सिंह शामिल थे । 
टीम ने बनारपुर, कोचाढ़ि व मोहनपुरवा गाँव का दौरा किया जहां किसानों के घरों में घुस कर बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों को बर्बर तरीके से पीटा तथा उनके घरों में तोड़ - फोड़ एवं लूट - पाट किया । इस घटना को अंजाम देने के दौरान शाहाबाद के डीआईजी नवीन चंद्र झा, एसपी मनीष कुमार, एसडीपीओ धीरज कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी धीरेन्द्र मिश्रा के साथ कई थानाअध्यक्ष एवं पुलिस के जवान शामिल रहें । 

*जांच टीम के निष्कर्ष* 

चौसा में किसान भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग को लेकर 17 अक्टूबर 2022 से चौसा थर्मल पावर प्लांट के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । यह पूरा मामला SJVN (सतलुज जल विद्युत निगम) कंपनी के निर्माणाधीन 1320 मेगावाट के चौसा थर्मल पावर प्लांट, रेलवे कॉरिडोर एवं पाइप लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है । इस परियोजना में पावर प्लांट के लिए करीब 20 गांव के सैकड़ों किसानों की जमीन जा रही है । लेकिन, सरकार के द्वारा 2022 में मुआवजे की रकम 2013 के न्यूनतम मूल्य रजिस्टर (एमवियार) के सर्किल रेट से दी जा रही है । 1320 मेगावाट के चौसा पावर प्लांट में भूमि अधिग्रहण के विरोध में 17 महीने से किसान जमीन के उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं । बीते कुछ महीनों से किसान अपनी 11 सूत्री मांगों के समर्थन में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के मुख्य गेट पर ही धरना दे रहे थे । 19 मार्च 2024 को दिन मंगलवार को प्रशासन के द्वारा माननीय उच्च न्यायलय के आदेश एवं अचार संहिता के तहत धारा 144 लागु होने का हवाला देते हुए मुख्य गेट से किसानों को हटाने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था । लेकिन किसान गेट से नहीं हटे । उसके बाद बुधवार को दोपहर के बाद प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ धरना स्थल पर पहुंची और धरना दे रहे किसानों को बलपूर्वक हटाने लगी । इस दौरान किसानो एवं पुलिस के झड़प हुई । किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया । लाठीचार्ज में कई किसान बुरी तरह से घायल हुए हैं । इसके बाद पुलिस द्वारा प्रभावित किसानों के गाँव बनारपुर, मोहनपुरवा, कोचाढ़ि गाँव के किसानों के घरो में घुस कर बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों सहित सभी को बर्बर तरीके से पीटा गया और उनके घर के सामानों को तोड़ - फोड़ दिया, और उनके घरों में लूट - पाट भी किया गया है । प्रशासन द्वारा किये गए मुकदमे में अभी तक 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें 07 महिलाएं शामिल हैं । लगभग 50 किसानों पर नामजद मुकदमा किया गया है । कोचाढ़ि के नेटुआ परिवार के लोगों को गिरफ्तार किया गया है । किसान आंदोलन के अग्रणी नेता रामप्रवेश यादव को गिरफ्तार कर पुलिस ने बंद कर दिया है ।  जाँच टीम ने बनारपुर के प्रभावित किसानों से उनके घर जाकर उनसे मुलाकात किया तथा हुए नुकसान का जायजा लिया । पीड़ित परिवारों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस के द्वारा बानरपुर, मोहनपुरावा, कोचाढ़ी गांव में किसानों के घर घुसकर बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों  सभी को पुलिस द्वारा पीटा गया । साथ ही घर में रखें सामनों के साथ तोड़ - फोड़ किया गया एवं घर के कीमती सामानों को पुलिस द्वारा लूट लिया गया है । 
बनारपुर के वार्ड नंबर 09 के निवासी एवं किसान आंदोलन के समर्थक शमशेर खान ने बताया कि जब पुलिस वाले पहुंचे तो रमजान के दौरान इफ्तार का समय था । हम लोग इफ्तारी की तैयारी में थे कि पुलिस आ धमकी और घरों के घुसने लगी । दरवाजा नहीं खोलने पर उन्होंने खिड़की और दरवाजा तोड़ दिया और घर में घुस गए । पुरे बनारपुर में किसी भी मुश्लिम परिवार को इफ्तार नहीं कर सका । हमारे घरों में घुसकर महिलाओं और बच्चों को भी बर्बर तरीके से पीटा गया । मेरे जीविका का साधन मेरे टेंपो को भी तोड़ दिया । बनारपुर के ही रईस खान के घर का खिड़की दरवाजा तोड़कर पुलिस घर में घुसी और सभी को बेरहमी से पीटा, उनके स्कार्पियो को भी तोड़ दिया । मंसूर खान के साथ भी यही दुहराया गया । बनारपुर के प्रतिष्ठित किसान मुन्ना तिवारी के घर में पुलिस ने अमानवीय घटना को अंजाम दिया । उनके घर में लगे CCTV कमरा को तोड़ दिया । उनके होता में कड़ी उनकी कार और बुलेट को तोड़ दिया । गौशाला को तहस-नहस कर दिया और गाय को भी बुरे तरीके से पीटा । घर में जो कोई भी मिला बच्चा-बूढ़ा औरत मर्द सबको बुरी तरह से पीटा । घर के मंदिर में रखे पीतल एवं कांस्य की मूर्ति को भी पुलिस वाले अपने साथ ले गए । हल ही में मुन्ना तिवारी के घर में शादी है उसकी तैयारी के लिए ख़रीदे गए फ्रीज़, कूलर आदि सहित घर के लगभग सभी सामनों को यहाँ तक की घर में लगे नल, बेसिन, शौचालय दी शीट सब कुछ तोड़ दिया गया । मुन्ना तिवारी ने बताया कि शादी के लिए ख़रीदे गए गहनों और घर में रखे नकदी को भी पुलिस अपने साथ ले गयी । मुन्ना तिवारी ने बताया कि 2022 से पहले जब से यह किसान आंदोलन चल रहा है उससे पहले मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है । चिन्हित कर के ये कार्रवाई की गयी है । किसान आंदोलन के नेताओं और समर्थकों को चिन्हित कर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है । किसान संजय तिवारी के घर में बंद दरवाजों को तोड़कर पुलिस जबरदस्ती घुसी और पुलिस की दहसत से छत पर छुपे बच्चों और महिलाओं पर बर्बरता के साथ पीटा . उनकी बेटी घटना से सदमे हैं और पुलिस की वर्दी देखकर दर जाती है और आक्रोशित हो जाती है किसान आंदोलन के अग्रणी नेता रामप्रवेश यादव को गिरफ्तार कर पुलिस ने बंद कर दिया है । किसान दीनानाथ जी के साथ यही बर्बरता दोहराई गयी । भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में यह सामने आ चूका है कि कंपनी ने किसानों की 1058 एकड़ भूमि जमीन अधिकृत की है पर इसका उचित मुआवजा नहीं दिया है । जो मुआवजा दिया है, उसमे भी भष्टाचार हुआ है । भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनरव्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम  (आरएनआर पॉलीसी) लागु नहीं हुई है । भूमिहीन हो चुके 225 लोगों के पुनर्स्थापन की व्यवस्था नहीं की गयी है ।  
चौसा में निर्मित हो रहा थर्मल पावर प्लांट एनटीपीसी का प्रोजेक्ट है । वह अपनी सहयोगी कंपनी एसजीवीएन के जरिए निर्माण कार्य चला रही है । इसके लिए 2010-11 में ही लगभग एक हजार एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी । अभी तक 1058 एकड़ जमीन अधिगृहित की जा चुकी है । तय हुआ था कि 36 लाख रु. प्रति एकड़ की दर से जमीन का मुआवजा मिलेगा, लेकिन अपने वादे से मुकरते हुए सरकार महज 28 लाख रु. प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने लगी । किसानों ने इसका विरोध शुरू कर दिया । 50 प्रतिशत से अधिक किसानों ने मुआवजा नहीं लिया । 
मुआवजे के साथ-साथ कंपनी के सीएसआर फंड से इलाके में स्कूल, होटल एवं रोजी-रोजगार के संसाधन बढ़ाने तथा नौकरी में स्थानीय लोगों को वरीयता देने का भी वायदा किया गया था । तभी जाकर किसानों ने एग्रीमेंट पर दस्तख्त किए थे, लेकिन एग्रीमेंट के बाद कम्पनी अपनी बात से मुकर गई । यहां तक कि लोगों पर जुल्म करना शुरू कर दिया । सभी कर्मियो की बहाली अन्य प्रदेशों से की गई । 
किसानों के मुताबिक सीएसआर फंड नेताओं व अधिकारियों की चापलूसी और उन्हें खुश करने में कंपनी ने पानी की तरह बहाया । कई अधिकारियों को नजराने के तौर पर लाखों की सौगात दी गई । किसानों पर जिस अधिकारी द्वारा जितना अधिक जुल्म हुआ उसे कम्पनी द्वारा उतनी सुविधा उपलब्ध कराई गई । 
पुनः कम्पनी द्वारा 2022 में रेलवे पाइप लाइन के लिए किसानों की लगभग 250 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की कार्रवाई शुरू हुई । किसानों ने पुराने बकाए और कंपनी द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के साथ-साथ इस बार के भूमि अधिग्रहण के लिए वर्तमान दर पर मुआवजे की मांग उठानी शुरू कर दी । इसी मुद्दे को लेकर वे विगत किसान आंदोलन कर रहे थे । 
भाकपा-माले किसान आंदोलन की उपर्युक्त सभी मांगों का समर्थन करते हुए दमन की घटना के जिम्मेवार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करती है । भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट उचित मुआवजा भुगतान करने तथा भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनरव्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 (आरएनआर पॉलीसी) के तहत भूमिहीन हो चुके 225 लोगों के पुनर्स्थापन की व्यवस्था की मांग करती है ।  प्रशासन को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीके से खुश करके कंपनी किसानों का गला घोंट रही है । यह बेहद संगीन मामला है । अतः इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ।  

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