आखिर क्यों किसानों के प्रशासन नहीं मान रही
बक्सर संवाददाता
बक्सर :- भाकपा-माले के बक्सर जिला सचिव सह पार्टी केंद्रीय कमिटी सदस्य नवीन कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि चौसा में करीब डेढ़ साल से चल रहे किसानों के शांतिपूर्ण धरना पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करना यह बता रहा है कि बिहार में मुख्यमंत्री नितीश कुमार अब पूरी तरीके से किसान-विरोधी भाजपा की नीतियों पर सरकार चला रहे हैं । आंदोलनरत किसानों पर कल का पुलिसिया हमला बक्सर सांसद अश्विनी चौबे और भाजपा के आदेश पर किया गया है ।उन्होंने कहा कि एक तो किसानों की लंबित और जायज मांगों को प्रशासन नहीं मान रहा है दूसरी तरफ शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे किसानों पर लाठियां बरसा रही है । प्रशासन द्वारा किये गए लाठीचार्ज में बच्चों, महिलाओं, वृद्धों पर जानलेवा हमला पूर्णतः निंदनीय है । भाकपा-माले, भाजपा-जदयू की इस दमनात्मक कार्रवाई की तीखी शब्दों में भर्त्सना करती है। चौसा के किसान आंदोलन को दमन के रस्ते समाप्त कराने की कोशिश चल रही है, जबकि यह सर्व विदित है कि किसानों की मांग जायज है । चौसा पावर प्लांट के लिए किसानो से जबरन जमीन हड़प ली गयी और उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है । किसानो की मांगो को दरकिनार कर लाठी और गोली के बल पर आंदोलन को दबाने की कोशिश को करारा जवाब दिया जाएगा । हम चौसा के आंदोलनरत किसानो के साथ है ।
विदित हो कि भाजपा के इसारे पर जनवरी 2023 में भी इसी तरह किसानों पर कहर बरपाया गया था । तब भी बनारपुर समेत आस-पास के गाँवों में आधी रात को किसानों के घरों में घुसकर प्रशासन द्वारा बच्चों और महिलाओं को बर्बर तरीके से पीटा गया था । तब भी भाकपा-माले किसानों तथा उनके परिवारों के साथ खड़ा था और आज भी है । तब माले के राष्ट्रिय नेताओं सहित अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बक्सर से पूर्व विधायक मंजू प्रकाश, डुमरांव विधायक डॉ० अजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में किसानों पर दमनात्मक कार्रवाई के खिलाफ और किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए उनकी सभाओं में शामिल होकर अपना पूर्ण समर्थन दिया था ।
माले जिला सचिव सह भाकपा-माले केंद्रीय कमिटी सदस्य नवीन कुमार ने आंदोलनकारी किसानों से आह्वान करती है कि लोकसभा चुनाव एक मौका है जिसमें किसान अपने ऊपर बरसाए गए एक एक लाठी के बदले सैकड़ों वोटों से जवाब दे सकते हैं ।
उन्होंने कहा आंदोलनकारियों की मांगें इस लोकसभा चुनाव में नारों की तरह इस चुनाव में गूंजेगी और बिहार में भाजपा-जदयू को भारी शिकस्त देगी और सत्ता से बाहर करेगी ।
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