आंदोलन कर रहे किसानों पर बर्बर पुलिसिया दमन अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है - नीरज

आंदोलन कर रहे किसानों पर बर्बर पुलिसिया दमन अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है - नीरज

बक्सर

बक्सर जिले के चौसा में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग को लेकर 17 अक्टूबर 2022 से चौसा थर्मल पावर प्लांट के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर बर्बर पुलिस दमन और उसके बाद बनारपुर, कोचाढ़ि व मोहनपुरवा गाँव के किसानों के घरों में घुस कर बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों सहित सभी को बर्बर तरीके से पीटने एवं उनके घरों में तोड़ - फोड़ एवं लूट - पाट करने की घटना हमें अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही की याद दिलाती है । किसानों के जायज मांगों को अनदेखा करने तथा भूमिअधिग्रहण में व्याप्त भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए स्थानीय भाजपा सांसद व सरकार की निर्देश पर इस बर्बर घटना को प्रशासन ने अंजाम दिया है । उक्त बातें भाकपा-माले द्वारा संवादताता सम्मलेन डुमराँव विधायक डॉ० अजीत कुमार सिंह द्वारा कही गयी । इस दौरान बक्सर सचिव नीरज कुमार के साथ जिला कमिटी के सदस्य व इटाढ़ी प्रखण्ड के सचिव जगनारायण शर्मा, किसान आंदोलन के नेता व प्रतिनिधि बिनोद पांडेय, हरेराम सिंह और तेजनारायण सिंह शामिल थे । 
SJVN (सतलुज जल विद्युत निगम) कंपनी के निर्माणाधीन 1320 मेगावाट के चौसा थर्मल पावर प्लांट के लिए 1064 एकड़ भूमि तथा रेलवे कॉरिडोर एवं पाइप लाइन के लिए 225 एकड़ भूमि का अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है । भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की धारा 6 जिसमें सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट का प्रावधान है इसका घोर उल्लंघन हुआ है । अधिसूचना में वर्णित भूमि के मूल्य निर्धारण में पंजी-2 के अधतन स्थिति का घोर उल्लंघन हुआ है, जिससे किसानों को आज तक उचित मुआवजा नहीं मिल सका है । भूमि अधिग्रहण का परिमार्जन किए बगैर दर निर्धारण किया गया है । विडंबना यह है कि दर निर्धारण कमेटी में किसी भी किसान या किसान प्रतिनिधि को शामिल तक नहीं किया गया है ना ही किसानों को इस सम्बन्ध में कोई सुचना या नोटिस ही भेजा गया है जो अधिनियम का उल्लंघन है । अधिनियम की धारा 38 के तहत जमीन की दखल-दहानी कागज में से लिया गया है जबकि इसमें स्पष्ट इंकित है कि दखल-दहानी से पूर्व जिला समाहर्ता को यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को मुआवजा का भुगतान हो चुका है और आर एंड आर पॉलिसी का लाभ भी दखल दहनी के साथ संबंधित रैयतों को मिलना शुरू हो गया है । लेकिन खेद है की भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का अवहेलना करते हुए जिला प्रशासन जमीन की दखल-दहनी तक ले चुका है किसानों के विरोध करने पर दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है । 
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में यह सामने आ चूका है कि कंपनी ने किसानों की 1058 एकड़ भूमि जमीन अधिकृत की है पर इसका उचित मुआवजा नहीं दिया है । आरएनआर पॉलीसी के तहत भूमिहीन हो चुके 225 लोगों के पुनर्स्थापन की व्यवस्था नहीं की गयी है ।   भाकपा-माले किसान आंदोलन की उपर्युक्त सभी मांगों का समर्थन करते हुए दमन की घटना के जिम्मेवार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करती है । भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट उचित मुआवजा भुगतान करने तथा भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनरव्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 (आरएनआर पॉलीसी) के तहत भूमिहीन हो चुके 225 लोगों के पुनर्स्थापन की व्यवस्था की मांग करती है ।  प्रशासन को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीके से खुश करके कंपनी किसानों का गला घोंट रही है । यह बेहद संगीन मामला है । अतः इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ।  

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